BREKING NEWS: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी 2025 से शुरू होगा। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – को संबोधित करेंगी। बजट सत्र को आमतौर पर दो भागों में विभाजित किया जाता है। पहला भाग 31 जनवरी से शुरू होकर 13 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस दौरान सरकार की नीतियों और आगामी वित्तीय वर्ष के लिए योजनाओं पर चर्चा होगी।
इस सत्र के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करेंगी, जो देश की आर्थिक नीतियों, खर्च, कर प्रणाली और विकास योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत करेगा। इस सत्र में विभिन्न विधेयकों पर भी चर्चा की जाएगी और सरकार के कामकाज पर सवाल-जवाब का दौर चलेगा।
बजट सत्र में संसद सदस्यों को सरकार के वित्तीय प्रबंधन और योजनाओं पर बहस करने का अवसर मिलेगा। यह सत्र देश की आर्थिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इससे देश के आर्थिक विकास और कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति को स्पष्ट किया जाएगा।
सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च 2025 को शुरू होगा और 4 अप्रैल 2025 तक चलेगा। मंगलवार को जारी संसदीय बुलेटिन के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार, 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगी।
सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च 2025 को शुरू होगा और 4 अप्रैल 2025 तक चलेगा। मंगलवार को जारी संसदीय बुलेटिन के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी। इस बजट सत्र के दौरान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार, 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगी।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी थी कि सरकार ने 30 जनवरी को एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। यह बैठक आगामी सत्र में संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए आयोजित की गई है। उन्होंने विपक्षी नेताओं से इस बैठक में सहयोग की अपील की ताकि सदन में चर्चा सही तरीके से हो सके और कार्यवाही में कोई रुकावट न आए। रिजिजू ने इस बात का भी उल्लेख किया कि पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ मुद्दों पर असहमति और तनाव देखा गया था, और इस बार सरकार का प्रयास रहेगा कि संसद में सकारात्मक माहौल बना रहे।
इस बैठक का उद्देश्य सभी दलों के नेताओं को एक साथ लाकर, संसद की कार्यवाही के लिए आवश्यक समझौते और रणनीतियाँ तय करना है ताकि देश की समस्याओं पर चर्चा और निर्णय प्रक्रिया को प्रभावी रूप से संचालित किया जा सके।
यह बयान केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू का है, जिसमें उन्होंने संसद के पिछले दो सत्रों में हुए हंगामे और विरोध प्रदर्शनों की आलोचना की है। उनका कहना था कि इन हंगामों के कारण संसद की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है। रिजिजू ने विपक्षी नेताओं और अन्य सांसदों से अपील की कि वे संसद के सत्रों के दौरान सक्रिय रूप से चर्चा में भाग लें और मुद्दों पर बहस करें। उनका मानना है कि अगर विपक्ष संसद को सही तरीके से चलने दे, तो चर्चा और बहस सहज रूप से हो सकती है, जिससे लोकतंत्र की प्रक्रिया मजबूत होगी।