Jammu-Kashmir: 18 दिसंबर 2024, बुधवार को जम्मू क्षेत्र के रियासी जिले के कटरा में स्थानीय दुकानदारों ने पूर्ण बंद का आयोजन किया। यह विरोध उस प्रस्तावित रोपवे परियोजना के खिलाफ किया गया जो तारकोटे मार्ग से संजी छत तक 12 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई वाले ट्रैक को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है। इस परियोजना को लेकर स्थानीय समुदाय में गहरा असंतोष है, क्योंकि यह उनकी आजीविका पर गंभीर असर डाल सकती है।
वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा प्रस्तावित इस रोपवे परियोजना ने हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी को खतरे में डाल दिया है। वैष्णो देवी ट्रेक मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह जम्वाल ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए कहा, “हम अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। श्राइन बोर्ड हमारी 60,000 से अधिक परिवारों की रोटी-रोजी छीनने की कोशिश कर रहा है। होटल व्यवसायियों से लेकर दुकानदारों, खच्चर चालकों, मजदूरों और परिवहनकर्ताओं तक, सभी इस परियोजना के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। इस परियोजना को तुरंत रोका जाना चाहिए।”
कटरा और उसके आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग वैष्णो देवी यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा से अपनी आजीविका चलाते हैं। इन परिवारों में होटल व्यवसायी, रेस्टोरेंट मालिक, छोटे दुकानदार, खच्चर और पालकी सेवाएं देने वाले मजदूर, और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोग शामिल हैं। वैष्णो देवी की यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, और यह क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ है।
हालांकि, रोपवे परियोजना का उद्देश्य श्रद्धालुओं को सुगम और तेज़ यात्रा प्रदान करना है, लेकिन स्थानीय लोग इसे अपने व्यापार और रोजगार पर सीधा हमला मान रहे हैं। उनका मानना है कि अगर रोपवे चालू हो जाता है, तो श्रद्धालुओं की संख्या जो ट्रैक पर रुककर सामान खरीदती है या सेवाएं लेती है, वह काफी कम हो जाएगी। इससे उनका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा।
इस बंद में सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। स्थानीय बाजार पूरी तरह बंद रहे, और सड़कों पर दुकानदारों, खच्चर चालकों और श्रमिक संगठनों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने बैनर और पोस्टर के साथ अपनी मांगों को रखा और सरकार व श्राइन बोर्ड से परियोजना को रोकने की अपील की।
इस परियोजना के समर्थक इसे श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी राहत मानते हैं। उनका कहना है कि इससे बुजुर्गों और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को यात्रा में सहूलियत होगी। इसके अलावा, यात्रा का समय कम होगा और दुर्घटनाओं की संभावना भी घटेगी।
दूसरी ओर, विरोधियों का कहना है कि यह परियोजना केवल कुछ बड़े खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाएगी, जबकि हजारों छोटे व्यवसायियों और श्रमिकों को बेरोजगार बना देगी। उनका यह भी आरोप है कि श्राइन बोर्ड ने इस परियोजना को लागू करने से पहले स्थानीय समुदाय से पर्याप्त परामर्श नहीं किया।
स्थानीय सरकार पर दबाव
इस विरोध प्रदर्शन ने स्थानीय सरकार और प्रशासन पर भारी दबाव डाला है। कटरा और आसपास के क्षेत्रों में व्याप्त आक्रोश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रोपवे परियोजना को लागू करने से पहले स्थानीय लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखना आवश्यक है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और श्राइन बोर्ड इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं। क्या वे रोपवे परियोजना को स्थगित करेंगे या स्थानीय समुदाय के लिए कुछ वैकल्पिक समाधान पेश करेंगे? वर्तमान में, स्थानीय लोगों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं, चाहे इसके लिए उन्हें और बड़े स्तर पर आंदोलन क्यों न करना पड़े।
वैष्णो देवी रोपवे परियोजना का विरोध स्थानीय समुदाय और प्रशासन के बीच एक जटिल संघर्ष को दर्शाता है। यह विवाद केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का मामला नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय की आजीविका, सांस्कृतिक पहचान, और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था की सुरक्षा का भी सवाल है।