J&K NEWS: श्रीनगर, कश्मीर में 20 दिसंबर 2024 को एक असाधारण ठंडी रात देखी गई, जब घाटी में ‘चिल्लाई कलां’ के सबसे कठोर सर्दी के मौसम से एक दिन पहले तापमान ने जमाव बिंदु से कई डिग्री नीचे गिरने का रिकॉर्ड तोड़ा। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, श्रीनगर में सीज़न की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई, जब न्यूनतम तापमान माइनस 6.2°C रहा, जो पिछले दिन रात के माइनस 6°C से थोड़ा नीचे था।
कश्मीर में सर्दी के मौसम को ‘चिल्लाई कलां’ के नाम से जाना जाता है, जो करीब 40 दिनों तक रहता है और इस दौरान कश्मीर में तापमान लगातार गिरता जाता है, जिससे ठंडी की तीव्रता चरम पर पहुंच जाती है। इस अवधि के दौरान, घाटी के विभिन्न हिस्सों में बर्फबारी होती है और दिन में भी तापमान बहुत कम होता है। यह समय कश्मीर के लोगों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि ठंड इतनी अधिक हो जाती है कि बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है और जीवन सामान्य रूप से प्रभावित होता है।
सर्दी के इस कड़े मौसम में ठंड का असर श्रीनगर सहित पूरे कश्मीर घाटी में महसूस किया जा रहा है। श्रीनगर का तापमान माइनस 6.2°C के स्तर पर पहुँचने के बाद, पूरे इलाके में बर्फ की मोटी चादर बिछ गई। नदियाँ, तालाब और झीलें जमने के कगार पर हैं, और सर्द हवाएँ चल रही हैं, जिससे लोगों को घरों में कैद होने के लिए मजबूर कर दिया है। कश्मीर के स्थानीय निवासियों को इन परिस्थितियों में अपना जीवन यापन करना बेहद कठिन हो जाता है। लोग गर्म कपड़े पहनकर और हीटरों का इस्तेमाल करके खुद को ठंड से बचाने की कोशिश करते हैं।
यह समय कश्मीर के किसानों और बागवानों के लिए भी कठिन होता है। बर्फबारी और अत्यधिक ठंडे मौसम की वजह से उनकी फसलें प्रभावित हो सकती हैं। खासकर सेब और अन्य फल, जो कश्मीर की पहचान हैं, सर्दी से बचने के लिए खास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस मौसम में बर्फबारी के कारण किसानों को अपने बागों की देखभाल करने में कठिनाई होती है, और कई बार बर्फबारी के कारण फसलों को नुकसान भी होता है।
वहीं, पर्यटकों के लिए यह मौसम एक आकर्षण का केंद्र बन जाता है। कश्मीर में बर्फबारी देखने के लिए देश और दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। झीलों का जमना, बर्फ से ढके पहाड़, और शांति का माहौल पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है। हालांकि, ठंड इतनी अधिक होती है कि पर्यटकों को खास सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, श्रीनगर में रात का तापमान इस सीज़न का सबसे ठंडा था, जो अगले दिनों में और गिरने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि चिल्लाई कलां के दौरान तापमान और भी कम हो सकता है, और सर्दी की तीव्रता बढ़ सकती है। ऐसे में प्रशासन ने जनता से सतर्क रहने की अपील की है।
‘चिल्लाई कलां’ के इस कड़े सर्द मौसम में स्थानीय लोग और प्रशासन दोनों ही इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। चश्मदीदों के अनुसार, कई इलाकों में बिजली की आपूर्ति भी बाधित हो सकती है और सड़क मार्गों पर बर्फ के कारण यातायात भी प्रभावित हो सकता है। लोग इस सर्दी से बचने के लिए अलाव जलाते हैं और घरों में आग जलाने की कोशिश करते हैं ताकि ठंड से बचाव किया जा सके।
अंततः, कश्मीर में ठंड और बर्फबारी का यह समय प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, लेकिन इस सर्दी की तीव्रता के कारण लोगों के जीवन में कई तरह की कठिनाइयाँ भी उत्पन्न होती हैं।